जीने की तमन्ना है तो मर मर के मत जी
उठ हाथ फैला सूरज को पकड़ माथे लगा
मन में लिए उमंग उठा कर कलम हाँथ में
बदल डाल रोती हुई किस्मत को
बदल डाल हर आँसू को मोटी बना
नहीं अब सुख के पल दूर हाथ बढ़ा
और कलम उठा नासूर कि स्याही से
शब्दों के जाल बना ज़माने को दिखा
उठ हाथ फैला सूरज को पकड़ माथे लगा
मन में लिए उमंग उठा कर कलम हाँथ में
बदल डाल रोती हुई किस्मत को
बदल डाल हर आँसू को मोटी बना
नहीं अब सुख के पल दूर हाथ बढ़ा
और कलम उठा नासूर कि स्याही से
शब्दों के जाल बना ज़माने को दिखा
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