रविश चंद्र "भारद्वाज"
Monday 25 November 2013
थामे रखना हाथोँ को जब तक ये रात गुजर जाये
पनाह दिल को मिले जब तक ये रात गुजर जाये
सुबह हमारी जरुर होगी बस ये रात गुजर जाये
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