Thursday 24 October 2013

नीँद आ रही है
शायद थक गया हुँ
चाय ना मिली शाम वाली
बिते रात आराम ना मिला
आफिस मेँ भी मन ना लगा
काम कुछ बेवफा सा लगा

तनख्वाह दस रुपये बढी
मंहगाई बीस रुपये बढी
स्कुल फीस तीस रुपये बढी

माँ के पेट की दवाई लानी है
बहन की शादी करवानी है
भाई का दाखिला बाकी है
पिता की पेँशन छुड़वानी है

सालोँ बित गये आजादी के
चुनाव पे चुनाव निपट गये
गाँव तक रोड ना बन पाया
मकान पक्का ना हो पाया
एक पंखा तक चल ना पाया

नीँद भाग गयी
सुबह हो गयी
आफिस टाइम
अपना टाइम कब आएगा

No comments:

Post a Comment