Monday 21 October 2013

आँसू भी आज भ्रमित कर गये
कभी माँ की याद आयी
कभी पिता की
कभी भाई की याद आयी
कभी बहन की
कभी दोस्तोँ की याद आयी
कभी दुश्मनोँ की
कभी महबूब की याद आयी
कभी अपने दर्द की
जिँदगी परायी ये माना
आँसू पराये ये भी माना
फिर भी आज क्यूँ ऐसा लगा
आँसू भी आज भ्रमित कर गये

आँखोँ से पुछ बैठा जिद मेँ
वो भी हम पर हँस पड़ी
बिटिया को सामने लायीँ तो
आँसू भी हँस पड़े मुझ पे
आँसू नहीँ थे भ्रमित कभी भी
हम खुद भ्रमित से हो गये

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