अपना आशियाना खुद लटते देखा है
हर साहिल पे खुद को डुबते देखा है
तुम बात करती हो जान खुशनसीबी की
हमने तबाही का नसीब बनते देखा है
उम्मीद ना थी दिल को तुम मिल जाओगे
हमने वफाओँ को निलाम होते देखा है
फिर भी जाने क्यूँ तुझमेँ वो इरादा देखा है
अपनी रुह को फिर से आज मुस्कुराता देखा है
हर साहिल पे खुद को डुबते देखा है
तुम बात करती हो जान खुशनसीबी की
हमने तबाही का नसीब बनते देखा है
उम्मीद ना थी दिल को तुम मिल जाओगे
हमने वफाओँ को निलाम होते देखा है
फिर भी जाने क्यूँ तुझमेँ वो इरादा देखा है
अपनी रुह को फिर से आज मुस्कुराता देखा है
good and nice
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