Monday 21 October 2013

DEDICATED TO OUR SCHOOL PRINCIPAL SUDHIR MODAVAL SIR

खड़े जब हों आप प्रेयर ग्राउंड में सर खुद अपना ऊँचा हो जाता था

देखकर आपको बस मन सबका आप जैसा होने को हो जाता था

आपके ऑफिस में आने के पहले की जाती थी सारी तयारी

पर जाने क्यूँ आपको देखतें हीं दिमाग सब कुछ भूल जाता था

आपके राउंड की खबर से बच्चा दिल बड़ा हीं घबरा जाता था

स्कूल बैग से किताब खुद निकल कर डेस्क पे आ जाता था

आज आपका हाथ छूट गया है हम बच्चों को रोना बस आता है

पर आपकी छवि को भाई बहनो में देख सीना चौड़ा हो जाता है

कोई नहीं देखता अब नीचे बस आसमान को छूने का जस्बा है

सारी तैयारियों के साथ ज़िन्दगी में आगे बढ़ने का जस्बा है

कुछ भी भूल नहीं पाने की अब कसम खाने कि इच्छा है

बच्चा दिल अब किसी भी मुश्किल से घबराता नहीं है 

जीवन की किताब से हर दिन कुछ सिखने का जस्बा है

हाथ तो छूट गया आपका पर साथ कभी ना छूटेगा सर

हर स्टूडेंट्स में रवीश को नज़र आतें हैं आप  मुडावल सर 

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