तेरे दिए हर दर्द को दिल मेँ बसाता चला गया
रोते तड़पते दिल को शायर बनाता चला गया
अपने दर्द की दास्ताँ को शेर बनाता चला गया
तेरे हीँ गली मेँ महफिल जमीँ जालिम बेवफा
तेरे हीँ शहर मेँ सबको सुनाता चला गया
रोते तड़पते दिल को शायर बनाता चला गया
अपने दर्द की दास्ताँ को शेर बनाता चला गया
तेरे हीँ गली मेँ महफिल जमीँ जालिम बेवफा
तेरे हीँ शहर मेँ सबको सुनाता चला गया
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