रुकने की तबीयत मत रखो बस बहते हीँ जाओ यारोँ
सूरज जो पड़ जाये फीका
मन का दीप जलाओ यारोँ
क्यूँ रखते हो आस किसी से
जीवन मेँ आस जगाओ यारोँ
माना कि अपनोँ ने छोड़ दिया
खुदी का साथ निभाओ यारोँ
जल को जो है मिलता पत्थर
पर काट काट वो बहता है
काँटो के बीच रहता गुलाब
खिल खिल के हीँ वो रहता है
क्यूँ कैद हो इस जीवन मेँ
आजादी अपनी मनाओँ यारोँ
रुकने की तबीयत मत रखो बस बहते हीँ जाओ यारोँ
सूरज जो पड़ जाये फीका
मन का दीप जलाओ यारोँ
क्यूँ रखते हो आस किसी से
जीवन मेँ आस जगाओ यारोँ
माना कि अपनोँ ने छोड़ दिया
खुदी का साथ निभाओ यारोँ
जल को जो है मिलता पत्थर
पर काट काट वो बहता है
काँटो के बीच रहता गुलाब
खिल खिल के हीँ वो रहता है
क्यूँ कैद हो इस जीवन मेँ
आजादी अपनी मनाओँ यारोँ
रुकने की तबीयत मत रखो बस बहते हीँ जाओ यारोँ