आज दिल के रसोई मेँ चार रोटी बनी
पहली वाली खा ली
दुसरी बच्चोँ को खिला दी
तीसरी से उधार चुकाया
चौथी नेताओँ नेँ चुराया
अगले दिन फिर रोटी बनेगी
वही बंटवारा फिर से होगा
बस तय कर लिया एक बात
नेताओँ को मिलेगी मेरी लात
अपनी रोटी होगी अब मेरे हाथ
आजाद होगी अब अपनी रोटी
घर की छोटी प्यारी अपनी रोटी
भारत माँ की दुलारी अपनी रोटी
सारे जहान से अच्छी अपनी रोटी