Monday 11 November 2013

जीवन की क्षणभुँगरता को भूल 
रिश्तोँ की स्वार्थ भरी दुनिया मेँ
एक सच्ची ममता की छाया मेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ 
पुन: जन्म सा प्रतीत होता ये दिन
मन को प्रफुल्लित करता ये दिन
अजीब सपनोँ को देखता ये दिन
इस अनोखेपन को क्यूँ ना अपनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ

आत्मा को था आज शरीर मिला
मन को था आज मस्तिष्क मिला
माँ के आँचल मेँ एक फूल खिला
आओ इस पल का जश्न मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ

आत्मा को वचन दिया था कभी
जन्म का कर्ज लिया था कभी
कर्म को हाथ दिया था कभी
सबको याद कर के मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनाये