जीवन की क्षणभुँगरता को भूल
रिश्तोँ की स्वार्थ भरी दुनिया मेँ
एक सच्ची ममता की छाया मेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
पुन: जन्म सा प्रतीत होता ये दिन
मन को प्रफुल्लित करता ये दिन
अजीब सपनोँ को देखता ये दिन
इस अनोखेपन को क्यूँ ना अपनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
आत्मा को था आज शरीर मिला
मन को था आज मस्तिष्क मिला
माँ के आँचल मेँ एक फूल खिला
आओ इस पल का जश्न मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
आत्मा को वचन दिया था कभी
जन्म का कर्ज लिया था कभी
कर्म को हाथ दिया था कभी
सबको याद कर के मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनाये
रिश्तोँ की स्वार्थ भरी दुनिया मेँ
एक सच्ची ममता की छाया मेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
पुन: जन्म सा प्रतीत होता ये दिन
मन को प्रफुल्लित करता ये दिन
अजीब सपनोँ को देखता ये दिन
इस अनोखेपन को क्यूँ ना अपनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
आत्मा को था आज शरीर मिला
मन को था आज मस्तिष्क मिला
माँ के आँचल मेँ एक फूल खिला
आओ इस पल का जश्न मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनायेँ
आत्मा को वचन दिया था कभी
जन्म का कर्ज लिया था कभी
कर्म को हाथ दिया था कभी
सबको याद कर के मनायेँ
आज अपना जन्मदिन मनाये