Monday 11 November 2013

निलाम हो गयी पूजा की थाली 

राम नाम का अब क्या सोचूँ


घर मेँ दाल बनती नहीँ मंदिर मेँ दान का क्या सोचूँ


बिजली सुबह से आयी नहीँ दिया दिखाना क्या सोचूँ


बच्चोँ को पढा पाते नहीँ


भजनोँ का मैँ क्या सोचूँ




कौन कर रहा ये सब समझ मेँ ना आता है 


पाँच साल बीत जाते है आशा मेँ


फिर से रावण मेरे राम की तस्वीर लिए मेरे दरवाजे आता है